मीडिया एक साधन है जो समाज में सूचनाओं, विचारों, और जानकारियों को प्रसारित करता है। यह जनसमूह के बीच संचार को सुनिश्चित करने का एक माध्यम होता है, जो समाज की धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मीडिया कई रूपों में हो सकता है, जैसे कि अखबार, टेलीविजन, रेडियो, इंटरनेट, सोशल मीडिया, फिल्में, पत्रिकाएं, आदि। इन मीडिया प्रकारों के माध्यम से लोग जानकारी प्राप्त करते हैं, विचार विमर्श करते हैं, और अपने विचारों को साझा करते हैं।
मीडिया की प्रकृति पर संक्षिप्त टिप्पणी
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, और जब से सृष्टि का प्रारंभ हुआ है मनुष्य को दूसरे से संपर्क स्थापित करने के लिए भाव और संकेतों सहीत भाषाओं का सहारा लेना पड़ा है। सभ्यता के विकास के साथ ही मौखिक के साथ-साथ लिखित और दृश्य माध्यमों द्वारा सूचनाओं और भावों का आदान-प्रदान प्रचलित हो गया है।
मीडिया की परिभाषाएं :-
प्रसिद्ध संचारवेत्ता डेनिस मैक्वेल के अनुसार, “एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक अर्थपूर्ण संदेशों का आदान प्रदान है।
डॉ॰ मरी के मत में, “संचार सामाजिक उपकरण का सामंजस्य है।”
लीगैन्स की शब्दों में, ” निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया निरंतर अन्तक्रिया से चलती रहती है और इसमें अनुभवों की साझेदारी होती है।”
राजनीति शास्त्र विचारक लुकिव पाई के विचार में, ” सामाजिक प्रक्रियाओं का विश्लेषण ही संचार है।”
इस प्रकार मीडिया के संबन्ध में कह सकते हैं कि इसमें समाज मुख्य केन्द्र होता है जहाँ संचार की प्रक्रिया घटित होती है। संचार की प्रक्रिया को किसी दायरे में बांधा नहीं जा सकता। फिर संचार का लक्ष्य ही होता है- सूचनात्मक, प्रेरणात्मक, शिक्षात्मक व मनोरंजनात्मक।
भारत में प्राचीन काल से ही संचार माध्यमों का अस्तित्व रहा है। यह अलग बात है कि उनका रूप अलग-अलग होता था। भारत में संचार सिद्धान्त काव्य परपंरा से जुड़ा हुआ है। साधारीकरण और स्थायीभाव संचार सिद्धान्त से ही जुड़े हुए हैं।
संचार मुख्य रूप से संदेश की प्रकृति पर निर्भर करता है। फिर जहाँ तक संचार माध्यमों की प्रकृति का सवाल है तो वह संचार के उपयोगकर्ता के साथ-साथ समाज से भी जुड़ा होता है। चूंकि हम यह भी पाते हैं कि संचार माध्यम समाज की भीतर की प्रक्रियाओं को ही उभारते हैं।
निवर्तमान शताब्दी में भारत के मीडिया की प्रकृति व चरित्र में बदलाव भी हुए हैं लेकिन प्रेस के चरित्र में मुख्यत: तीन-चार गुणात्मक परिवर्तन दिखाई देते हैं-
पहला : शताब्दी के पूर्वाद्ध में इसका चरित्र मूलत: मिशनवादी रहा, वजह थी स्वतंत्रता आंदोलन व औपनिवेशिक शासन से मुक्ति। इसके चरित्र के निर्माण में तिलक, गांधी, माखनलाल चतुर्वेदी, विष्णु पराडकर, माधवराव सप्रे जैसे व्यक्तित्व ने योगदान किया था।
दूसरा : 15 अगस्त 1947 के बाद राष्ट्र के एजेंडे पर नई प्राथमिकताओं का उभरना। यहाँ से राष्ट्र निर्माण काल आरंभ हुआ और प्रेस भी इसके संस्कारों से प्रभावित हुआ। यह दौर दो दशक तक चला।
तीसरा : सातवें दशक से विशुद्ध व्यावसायिकता की संस्कृति आरंभ हुई। वजह थी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का विस्फोट।
चौथा : अन्तिम दो दशकों में प्रेस का आधुनिकीकरण हुआ, क्षेत्रीय प्रेस का एक `शक्ति` के रूप में उभरना और पत्र-पत्रिकाओं से संवेदनशीलता एवं दृष्टि का विलुप्त होना।
इसके इतर आज तो मीडिया की प्रकृति अस्थायी है। इसके अपने वाजिब कारण भी हैं हालांकि इसके अलावा अन्य मकसद से भी मीडिया बेतुकी ख़बरें व सूचनाएं सनसनीखेज तरीके से परोसने लगे हैं।
मीडिया का मानव जीवन और समाज पर प्रभाव
मीडिया एक ऐसा जरिया है। जिसके द्वारा देश विदेश की जानकारी, डाटा को एक साथ लाखों लोगों तक पहुँचाया जाता है। पहले लोग अपनी बात दूसरों तक पहुँचाने के लिए, डांस, गाने, नाटक का प्रयोग करते थे। जिससे वे बात दूसरों तक पहुंचा सकें।
समय के साथ इसमें बदलाव आया और इसकी जगह Print Media , फिर Mass Media और अब Social Media के द्वारा लोग अपनी बात सबके सामने रखते है। मीडिया संचार का एक बहुत आसान और मजबूत तरीका है। आजकल Media के सबसे आसान तरीके है। रेडियो, टीवी, न्यूज़पेपर एवं इन्टरनेट। मीडिया का हमारी सोसाइटी में एक अहम स्थान है।
मीडिया का सकारात्मक प्रभाव और फायदे
- Media का सबसे बड़ा साधन आज के समय में टेलीविज़न है. टीवी में आज जितने मनोरंजन के चैनल है, उतने ही या उससे भी ज्यादा समाचार चैनल है.
- Media के द्वारा लोगों को शिक्षा मिलती है, वे टीवी, रेडियो प्रोग्राम के द्वारा स्वास्थ्य, वातावरण, दूसरी अन्य जानकारी को जान पाते है.
- Media के द्वारा लोगों को अपना टैलेंट पूरी दुनिया में सबके सामने रखने का एक अच्छा प्लेटफार्म मिला.
- बच्चों का ज्ञान बढ़ता है. बच्चे डिस्कवरी जैसे चैनल, क्विज प्रोग्राम के द्वारा बहुत कुछ सीखते है.
- रेडियो भी एक अच्छा माध्यम है, इसके द्वारा कही पर भी रहकर जानकारी मिल जाती है. आजकल मोबाइल में भी रेडियो, एफ़एम् की सुविधा मौजूद रहती है.
- Media के द्वारा विज्ञापन कंपनी के उन्नति के रास्ते खुल गए. जैसे ही मीडिया आई, उसके पीछे पीछे अपने प्रोडक्ट का विज्ञापन करने के लिए, उन्हें अच्छा माध्यम मिल गया. विज्ञापन के द्वारा अलग अलग तरह के समान के बारे में लोगों को जानकारी मिलती है, जिससे इसकी बिक्री भी अधिक होती है.
मीडिया के नकारात्मक प्रभाव और नुकसान
- बढ़ते चैनलों के साथ एक चैनल दुसरे का प्रतिद्वंद्दी हो गया. TRP की होड़ में ये प्रोग्राम की क्वालिटी में ध्यान नहीं देते, और बस कुछ भी दिखाते है.
- आजकल टीवी पर कार्यक्रम से ज्यादा तो विज्ञापन आता है. टीवी चैनल वालों को विज्ञापन से पैसा मिलता है, जिससे वे अपने कार्यक्रम में विज्ञापन अधिक दिखाते है, और प्रोग्राम को छोटा कर देते है.
- कुछ भी दिखाने के लिए, आजकल फूहड़ता परोसी जाती है. कई बार फॅमिली चैनल में भी ऐसे कार्यक्रम आते है, जो परिवार के साथ बैठकर नहीं देखे जा सकते है, और अचानक ऐसा कुछ आने से सभी असमंजस महसूस करते है.
- औरतें अपने कार्यक्रम के चलते, घर का सारा काम धाम छोड़ देती है. इनकी इस आदत से तो कई बार इनके पति भी परेशान होते है.
- अधिक टाइम मास मीडिया, सोशल मीडिया में बिताने के कारण लोग समय बर्बाद करते है. इससे लोगों की सामाजिक जिंदगी भी प्रभावित होती है.
- लगातार Mass Media , सोशल मीडिया के संपर्क में रहने से बच्चों, बड़े सभी के दिमाग, आँख पर असर होता है. बच्चों को कम उम्र में ही चश्मे लगने लगते है. इसके आलावा भी बहुत से स्वास्थ्य की परेशानी जैसे सर दर्द, बेक में पैन आदि.
- ये मीडिया वाले देश में किसी आपदा, दुर्घटना के समय वहां जाकर उनकी मदद नहीं करेंगें, बल्कि उनसे पूछेंगें आपको कैसा लग रहा है? ऐसा देखकर लगता है, जैसे ये अपनी इंसानियत भी खो चुके है.
- मीडिया ने जातिवाद को बढ़ावा दिया है, कई बार चैनल वाले किसी धर्म विशेष के लिए ऐसा बोल जाते है, जिससे उस धर्म के लोग आहित होते है, और कई बार ये मसला साम्प्रदायिक दंगे तक पहुँच जाते है.
- किसी व्यक्ति विशेष के बारे में कई बार कुछ गलत अफवाह फैला दी जाती है, जिससे उस इन्सान की प्रतिष्ठा ख़राब होती है.
क्या मीडिया के बिना जीवन की कल्पना की जा सकती है?
मीडिया और समाज का संबंध बेहद संवेदनशील है। विषय वस्तु की दृष्टि से एक दूसरे की सीमा में प्रवेश करने की संभावना हमेशा बनी रहती है। दोनों एक दूसरे से इस प्रकार प्रतिबद्ध है कि एक के बिना दूसरे की कल्पना नहीं की जा सकती।
मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म बन चूका है, जो समाज में एक महत्वपूर्ण ऊँचा स्थान रखता है, उसको अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए खुद काम करना चाहिए। वैसे कुछ भी कहो मीडिया वाले बहुत मेहनत करते है, वे 24 घंटे काम करते है, जिससे देश, समाज को मनोरंजित कर सकें। उन्ही की बदौलत फिल्म अभिनेता, स्टार बनता है, राजनेता का कालाचिटठा सामने आता है।
मीडिया भी समाज के लोगों में रहकर काम करता है और व्यवस्था में सुधार का प्रयास करता है। अगर समाज सशक्त हो तो वह मीडिया पर नियंत्रण रखता है, और यदि मीडिया ज्यादा सशक्त हो तो वह समाज की दशा निर्धारित करता है। अतः मेरा मानना है कि Media के बगैर जीवन की कल्पना आज के दौर में करना नामुमकिन है।
मीडिया शिक्षा ग्रहण करने के बाद किन गुणों का विकास होता है
मीडिया यानी मास कम्यूनिकेशन समय के साथ काफी बदल चुका है। नई-नई तकनीकों के कारण अब मीडिया के कई प्लेटफॉर्म देखने को मिल रहे हैं। प्रिंट, रेडियो और टीवी के बाद पत्रकारिता का भविष्य वेब पर आ गया है।
इस क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण करने के बाद छात्रों में योग्यता, क्षमता और धर्य का गुण बढ़ जाता है। जिससे जज्बा, और जुनून भी पैदा हो जाता है, और आगे बढने के लिए हमेशा तत्पर रहता है, हमेशा कुछ नया करने की इच्छा और न्यूज सेंस होता है। मीडिया का एक मजबूती प्रदान करता है और भीड से अलग भी रखता है।
पत्रकारिता के क्षेत्र शिक्षा ग्रहण करने के बाद विद्यार्थियों में जिज्ञासु दृढ़ इच्छा शक्ति वाला, सूचना को वास्तविक, संक्षिप्त तथा प्रभावी रूप में प्रस्तुत करने की अभिरुचि रखने वाला, किसी के विचारों को सुव्यवस्थित करने तथा उन्हें भाषा तथा लिखित-दोनों रूपों में स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करने में कुशल बना देता है।
दबाव में कार्य करने के दौरान भी नम्र एवं शांत चित्त बने रहना एक अतिरिक्त योग्यता होती है। जीवन के सभी क्षेत्रों से व्यक्तियों का साक्षात्कार लेते समय पत्रकार को व्यावहारिक, आत्मविश्वासपूर्ण तथा सुनियोजित रहना योग्य बना देता है। उसे प्रासंगिक तथ्यों को अप्रासंगिक तथ्यों से अलग करने में सक्षम बनाता है।
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मीडिया शिक्षा को ग्रहण करने के बाद किन क्षेत्रों में रोजगार मिलता है
मीडिया शिक्षा को ग्रहण करने के बाद छात्रों को निम्नलिखित क्षेत्रों में रोजगार मिल सकता है:-
- संपादकीय विभाग में रोजगार: मीडिया क्षेत्र में संपादकीय विभाग में दो तरह के रोजगार होते हैं प्रथम कार्यालय में बैठे हुए लोग जिनमें संपादक से लेकर के इनपुट और आउटपुट के कार्य करने वाले कर्मचारी तक आते हैं और दूसरा क्षेत्रों से समाचार का संकलन करने वाले संवाददाता जो रात-दिन समाचार भेजते रहते हैं।
- अनुसंधान एवं अध्यापन में रोजगार:यद्यपि उच्च शिक्षा, पत्रकारों के लिए रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, किंतु अनुसंधान भी पत्रकारिता में एक सामान्य करियर विकल्प है। पत्रकारिता में पी.एच.डी. प्राप्त व्यक्ति कॉलेजों विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थाओं में रोजगार तलाशते हैं। कई अध्यापन पदों पर विशेष रूप से विश्वविद्यालयों और संस्थानों में अनुसंधान कार्यकलाप अपेक्षित होते हैं। शैक्षिक छापाखानों का यह आधार है ‘‘प्रकाशित करो या नष्ट हो जाओ”। अधिकांश छापाखानों की तरह इसका भी एक सत्य और विरूपण है।
- प्रिंट पत्रकारिता में रोजगार :प्रिंट पत्रकारिता समाचार पत्रों पत्रिकाओं तथा दैनिक पत्रों के लिए समाचारों को एकत्र करने एवं उनके सम्पादन से संबद्ध हैं। समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं, वे बड़ी हों या छोटी, हमेशा विश्वभर में समाचारों तथा सूचना का मुख्य स्रोत रही हैं और लाखों व्यक्ति उन्हें प्रतिदिन पढ़ते हैं। कई वर्षों से प्रिंट पत्रकारिता बडे़ परिवर्तन की साक्षी रही है।
- इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता में रोजगार: इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का विशेष रूप से प्रसारण के माध्यम से जन-समुदाय पर पर्याप्त प्रभाव है। दूरदर्शन, रेडियो, श्रव्य, दृश्य (ऑडियो, वीडियो) और वेब जैसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने दूर -दराज के स्थानों में समाचार, मनोरंजन एवं सूचनाएं पहुंचाने का कार्य किया है।
- वैब जर्नलिज्म में रोजगार: यह नया और सबसे तेजी से बढता हुआ कॅरियर बनता जा रहा है। इंटरनेट के माध्यम से की गई पत्रकारिता वेब जर्नलिज्म कहलाती है। यह बहुत हद तक इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता से मेल खाती है। आज नेट का उपयोग करने वाला कोई भी व्यक्ति किसी भी देश के अखबारों, पत्रिकाओं आदि को पढ सकता है। वेब जर्नलिज्म,इंटरनेट के प्रति लोगों के रुझान को बढाने का काम कर रहा है। आप चाहें, तो इसमें भी कॅरियर बना सकते हैं।
- विज्ञापन और प्रचार के क्षेत्र में रोजगार: विज्ञापन और प्रचार मीडिया का आधार होता है। वर्तमान में मीडिया सेवा भाव से कम और रोजगार की दृष्टि से अधिक विकसित हो रहे हैं, ऐसे में प्रचार और विज्ञापन के द्वारा ही Media में धन को हटाया जाता है। इस प्रकार मीडिया में विज्ञापन और प्रचार के क्षेत्र में भी बहुत ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं।
- सरकारी क्षेत्र में रोजगार: मीडिया की शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद केंद्र सरकार की सूचना और प्रकाशन विभाग में ही नहीं बल्कि सभी मंत्रालयों में जनसंपर्क अधिकारी से लेकर अन्य महत्वपूर्ण पदों पर नौकरी पाई जा सकती है।
- निजी क्षेत्र में रोजगार: लगभग सभी बड़ी निजी कंपनियां मीडिया की शिक्षा प्राप्त किए लोगों को अपने यहां जनसंपर्क और तकनीकी पदों पर रोजगार मुहैया करवाती है। कंपनी के विज्ञापन से लेकर ब्रांड के प्रसार की संख्या को बढ़ाने तक के लिए मीडिया से संबंधित लोगों को अवसर दिया जाता है।
निष्कर्ष: मीडिया के प्रत्येक प्रारूप और विभाग में कर्मठ, कार्यकुशल, परिश्रमी और एक्टिव लोगों के लिए पदोन्नति के अवसर खुले रहते हैं। आय की दृष्टि से यह एक मिला-जुला क्षेत्र है। इस क्षेत्र में अच्छी आय इस बात पर निर्भर करती है कि आपने अपने करियर की शुरुआत कैसे संस्थान से की है। आप सही संस्थान में अच्छी आय के साथ-साथ शोहरत भी प्राप्त कर सकते हैं।
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