आइये जानते हैं कि बाल श्रम क्या है? बच्चों द्वारा किए गए सभी कार्यों को बाल श्रम के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए जैसे घर के काम में बच्चों की भागीदारी, जो उनके स्वास्थ्य और व्यक्तिगत विकास को प्रभावित नहीं करता है या उनके स्कूली शिक्षा में हस्तक्षेप नहीं करता है।
कोई बच्चा अपने स्वास्थ्य, अपनी भलाई या अपनी शिक्षा से समझौता किए बिना अपने जीवन कौशल को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा हो। ऐसे कामों को उनके जीवन के लिए आमतौर पर सकारात्मक माना जाता है।
अक्सर बड़े बच्चे अपने माता-पिता के साथ या छोटी नौकरियाँ कर के अपना पॉकेट मनी कमाने या कार्य अनुभव प्राप्त करने के लिए काम करते हैं। यह काम उन्हें उनके वयस्क कामकाजी जीवन के लिए तैयार भी करता है।
” बाल श्रम ” शब्द को अक्सर ऐसे काम के रूप में परिभाषित किया जाता है जो बच्चों को उनके बचपन, उनकी क्षमता और गरिमा से वंचित करता है और जो शारीरिक और मानसिक विकास के लिए हानिकारक होता है।
बाल श्रम के सन्दर्भ में ऐसे काम आते है जो –
- बच्चों का मानसिक, शारीरिक, सामाजिक या नैतिक रूप से खतरनाक और बच्चों के लिए हानिकारक हो।
- उनके स्कूली शिक्षा में हस्तक्षेप करता हो।
- उन्हें स्कूल जाने के अवसर से वंचित कर देता हो।
- आवश्यकता से अधिक लंबे और भारी काम के साथ स्कूल की उपस्थिति को संयोजित करने के लिए उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ता हो।
लेकिन दुनिया भर में, लाखों बच्चे बाल मजदूरी करते हैं। वे खेतों, कारखानों, खदानों, घरेलु कार्यों, दुकानों, सड़क पर या बाजारों में सामान बेचने का काम करते हैं। लड़कियों को घरेलू काम करने के लिए लड़कों की तुलना में अधिक संभावना है, जैसे कि सफाई, भोजन बनाना और सेवा करना।
बाल श्रम एक वैश्विक मुद्दा है जो बच्चों को उनकी क्षमता को पूरा करने से रोकता है। बाल श्रम बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है – काम उन्हें मानसिक या शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है, उन्हें खतरनाक स्थितियों में उजागर कर सकता है या उन्हें स्कूल जाने से रोक सकता है। कई बाल मजदूर कभी स्कूल नहीं जाते हैं और न ही बाहर जाते हैं।
बाल श्रम क्या है?
बाल श्रम एक सामाजिक समस्या है जो बच्चों को उनके उम्र के अनुपयुक्त काम करने में लगाता है। यह एक अवैध और अन्यायपूर्ण अभ्यास है जो शिक्षित और अशिक्षित देशों दोनों में पाया जाता है।
बाल श्रम का उदाहरण शामिल हैं – बच्चों को फैक्ट्रियों, होटलों, धातु-संयंत्रों, बैंकों, बिस्कुट फैक्ट्रियों, और बाजारों में काम करने के लिए अवश्यक्ता महसूस करना। यह उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर डालता है और उनके भविष्य को बिगाड़ सकता है।
भारत में बाल श्रम
सेन्सस 2019 के अनुसार भारत में 10.1 मिलियन बाल श्रमिक है। जिसमे से 5.6 मिलियन लड़के तथा 4.5 लड़कियां है। दुनिया भर में 150 मिलियन से अधिक बाल श्रमिक है, और आने वाले समय में यह स्थिति औऱ भयावह होने वाली हैं। सेन्सस के रिकार्ड्स को देखे तो दुनिया मे हर चौथा बच्चा बाल श्रमिक है।
देश के भिन्न-भिन्न जगहों पर अलग-अलग इंडस्ट्री में बाल श्रमिकों से काम लिए जाते हैं, जैसे कपडे बनना, कालीन बुनना, खैत में काम लेना, मछली पकड़ना, कोयले की खानों में काम करना, होटल में सफाई का का काम आदी।
बच्चों को यौन शोषण और बाल पोर्नोग्राफी के ऑनलाइन उत्पादन सहित कई अन्य प्रकार के शोषण का भी खतरा है।बाल तस्करी को बाल श्रम से भी जोड़ा जाता है और इसका परिणाम हमेशा बाल शोषण होता है।
बाल श्रमिकों का सबसे भयावह रूप वह होता है, जब बच्चों को उनके घरों से दूर करके, उनसे उनकी शक्ति से अधिक कार्य कराया जाता हैं तथा उनके शारिरिक व मानसिक रूप से पडताडित किया जाता हैं।
बाल श्रम के प्रकार
3. होटल और रेस्टोरेंट में बाल श्रम:
बच्चे होटल और रेस्टोरेंट में पोशाक साफ करने, बर्तन धोने, और खाना बनाने में मदद कर सकते हैं।
4. धातु-संयंत्र में बाल श्रम:
कुछ धातु-संयंत्रों में, बच्चे मशीनों के नीचे काम करते हैं और धातु के उत्पादन में सहायता करते हैं।
5. चमड़ा उद्योग में बाल श्रम:
चमड़ा उद्योग में बच्चे चमड़ा साफ करते हैं, चमड़ा काटते हैं, और चमड़ा से संबंधित कार्यों में मदद करते हैं।
6. बिस्कुट फैक्ट्री में बाल श्रम:
बच्चे बिस्कुट फैक्ट्री में मिश्रण बनाते हैं, बिस्कुट तैयार करते हैं, और खुदाई करते हैं।
ये बाल श्रम के प्रमुख प्रकार हैं जिनमें बच्चे अपने उम्र के अनुपयुक्त काम करने के लिए मजबूर होते हैं और उनके शिक्षा और संरचनित विकास पर बुरा असर पड़ता है।
बाल श्रमिक होने के कारण
बाल श्रम के कुछ मुख्य कारण हैं:
- गरीबी: गरीबी बाल श्रम के मुख्य कारणों में से एक है। गरीब परिवारों में आर्थिक समस्याएं होती हैं जिसके कारण बच्चे अपने परिवार का सहारा बनने के लिए काम करने को मजबूर होते हैं।
- शिक्षा की कमी: कुछ स्थानों में शिक्षा की कमी होती है और लोग अपने बच्चों को काम करने के लिए पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर करते हैं।
- बेरोज़गारी: बेरोज़गारी के कारण भी कुछ बच्चे बाल श्रम के शिकार हो जाते हैं क्योंकि उन्हें रोज़गार नहीं मिलता।
- बड़े परिवार: बड़े परिवारों में अक्सर बच्चों की संख्या ज्यादा होती है और उन्हें अपने परिवार की आर्थिक सहायता करने के लिए काम करना पड़ता है।
- कुलीन विभाजन: कुछ समाजों में कुलीन विभाजन के कारण भी बच्चे बाल श्रम के शिकार हो जाते हैं।
शारीरिक रूप से विकलांग बालक सबसे ज्यादा बाल श्रम के शिकार होते हैं। ऐसे बालको से सड़क पर समान बेचना, बर्तन साफ करवाना तथा भिक आदि कार्य कराए जाते हैं। बाल श्रम और शोषण की निरंतरता राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए खतरा बनती है और बच्चों के लिए गंभीर नकारात्मक अल्पकालिक और दीर्घकालिक परिणाम उत्त्पन्न करती हैं।
बाल श्रम बच्चों को खराब स्वच्छता के साथ खतरनाक और दर्दनाक परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर करता है जो भविष्य में उनकी उत्पादकता को प्रभावित करता है, देश के दीर्घकालिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
बाल श्रम एक अवैध और अन्यायपूर्ण अभ्यास है, जिसे रोकने के लिए सरकारों को कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। बच्चों को उनके उम्र के अनुपयुक्त काम से बचाकर उन्हें शिक्षा और संरचनित विकास के अवसर प्रदान करने की ज़िम्मेदारी हम सभी की है।
हमारे देश पर बाल श्रमिकों का प्रभाव
बच्चे देश का भविष्य होते है, हमारे आज पर देश का कल टिका हुआ है। बच्चों में देश को बदलने की काबिलियत छुपी हुई है। इसलिए कैसे भी देश के लिए यह आवश्यक है के वह अपने आज अर्थात बालको की शिक्षा उनके विकास आदि पर ध्यान दे क्योंकि बालको के हाथ मे ही देश का भविष्य होता हैं। ऐसे में बाल श्रमिक जैसी समस्या कैसे भी देश के आर्थिक व भौतिक विकास के मार्ग में समस्या के रूप में खड़ा होता है।
बाल श्रम रोकने के उपाय एवं प्रयास
भारत में बाल श्रमिक की समस्या को इस प्रकार सुधारा जा सकता है:-
1. शिक्षा: जो बच्चों को कौशल सीखने में मदद करती है जो उन्हें जीवन जीने में मदद करेगी। बच्चों को पढ़ना और लिखना सीखना होगा। उन्हें सामाजिक और व्यावसायिक कौशल की आवश्यकता है जो केवल स्कूल और एक पोषण है।
2. श्रम कानून को सख्ती से लागू कर के: अधिकांश देशों में बाल श्रम के खिलाफ कानून हैं; हालांकि, कुछ सरकारें प्रतिस्पर्धी बाजार लाभ प्राप्त करने के तरीके के रूप में बाल श्रम (मौजूदा कानूनों की परवाह किए बिना) का समर्थन करती है।
3. बाल श्रमिकों को वयस्क श्रमिकों द्वारा प्रतिस्थापित कर के: बाल श्रमिकों को वयस्क श्रमिकों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए क्योंकि इस दुनिया में लगभग 800 मिलियन वयस्क बेरोजगार हैं। इस तरह वयस्क को नौकरी मिलेगी और बच्चे बाल श्रम से मुक्त होंगे।
4. मालिकों द्वारा संकल्प ले कर: कारखानों, उद्योगों, खानों इत्यादि के व्यावसायिक मालिकों को बच्चों को किसी भी प्रकार के श्रम में शामिल न करने का संकल्प लेना चाहिए।
भारत में बाल मजदूरी समस्या और समाधान
बाल श्रमिक समस्या को हल करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम निम्न प्रकार है:-
- बाल श्रम कानूनों का पालन: सरकार ने बाल श्रम को रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं जो बाल श्रमिकों की सुरक्षा और शिक्षा के अधिकारों को सुनिश्चित करते हैं। इन कानूनों का पालन करना सरकार की प्राथमिकता है।
- शिक्षा के लिए मुफ्त शिक्षा सुनिश्चित करना: बाल श्रमिकों के लिए सरकार को मुफ्त शिक्षा के अवसर प्रदान करने चाहिए ताकि वे काम करने के बजाय शिक्षा के माध्यम से अपने भविष्य को सुधार सकें।
- संरचित समर्थन सुविधाएं: सरकार को बाल श्रमिकों और उनके परिवारों को संरचित समर्थन सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए जैसे कि आर्थिक मदद, राशन सुविधा, मेडिकल सहायता आदि।
- जागरूकता कार्यक्रम: सरकार को बाल श्रमिक समस्या के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम चलाना चाहिए जिसमें बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता फ़ैलाई जाए और लोगों को बाल श्रम के नुकसान के बारे में बताया जाए।
- कार्यालयों के निगरानी: सरकार को बाल श्रम के खिलाफ कार्यालयों की निगरानी बढ़ानी चाहिए ताकि अवैध बाल श्रम के मामले में सख्त कार्रवाई की जा सके।
- आर्थिक विकास कार्यक्रम: सरकार को आर्थिक विकास कार्यक्रम चलाना चाहिए जिससे गरीब परिवारों को आर्थिक रूप से समर्थन मिले और उन्हें बाल श्रम के लिए मजबूर होने से बचाया जा सके।
- कानूनी कदम उठाना: अवैध बाल श्रम के मामले में सरकार को कड़े कानूनी कदम उठाने चाहिए जिससे बाल श्रम को रोका जा सके और दोषियों को सज़ा दी जा सके।
इन कदमों के साथ सरकार बाल श्रम समस्या को हल करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर सकती है और बच्चों को उनके अधिकारों का सम्मान करने में मदद कर सकती है।
भारत में बाल श्रम, किसी भी तरह, एक सामाजिक आदर्श बन गया है जिसे हम अपने समाज में स्वीकार करते हैं और सहन करते हैं। यह शोषक और अपमानजनक अभ्यास तब तक जारी रहेगा जब तक कि समाज एक शून्य सहिष्णुता रवैया नहीं अपनाता
एक अत्यंत शक्तिशाली संस्था, नेशनल अथॉरिटी फॉर द एलिमिनेशन ऑफ चाइल्ड लेबर (NAECL) की स्थापना 26 सितंबर, 1994 को हुई थी, जिसकी अध्यक्षता भारत सरकार में केंद्रीय श्रम मंत्री करते थे।
15 अगस्त 1994 को, भारत सरकार ने खतरनाक व्यवसायों में काम करने वाले बाल श्रमिकों को हटाने के लिए और उनके लिए विशेष स्कूल स्थापित करके उनका पुनर्वास करने के लिए एक बड़ा कार्यक्रम शुरू किया।
बाल श्रम वाले विकासशील देशों में इकट्ठे किए गए उत्पादों या अन्यथा निर्मित किए गए उत्पादों की खरीद में जनता की नैतिक जटिलता को लेकर अक्सर चिंताएँ उठाई जाती रही हैं।
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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
बाल श्रम से संबंधित प्रश्नों के उत्तर:
प्रश्न 1: बाल श्रम कब शुरू हुआ?
उत्तर: बाल श्रम का आविष्कार प्राचीन समय में हुआ था, जब बच्चे वृद्धाश्रमों में शिक्षा और सीखने के लिए सेवा करते थे। इसके साथ ही उद्योगीकरण के समय से बच्चे विभिन्न क्षेत्रों में काम करने लगे।
प्रश्न 2: बाल श्रम कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: बाल श्रम के कई प्रकार होते हैं जैसे कि खेती, उद्योग, होटल और रेस्टोरेंट, धातु-संयंत्र, चमड़ा उद्योग, बिस्कुट फैक्ट्री आदि।
प्रश्न 3: बाल श्रम की उम्र कितनी होती है?
उत्तर: बाल श्रम की उम्र 14 वर्ष तक के बच्चों को सम्मिलित करती है, जो आर्थिक संसाधनों के कमी के कारण काम करने पर मजबूर होते हैं।
प्रश्न 4: बाल श्रम की परिभाषा क्या है?
उत्तर: बाल श्रम की परिभाषा है – उम्र के अनुपयुक्त बच्चे जो शिक्षा और सीखने की जगह काम करने को मजबूर होते हैं।
प्रश्न 5: बाल श्रम के उदाहरण क्या हैं?
उत्तर: बाल श्रम के उदाहरण शामिल हैं – बच्चों को खेतों में काम करने, धातु-संयंत्रों में काम करने, होटल और रेस्टोरेंट में सहायक काम करने, बिस्कुट फैक्ट्री में काम करने आदि।
प्रश्न 6: बाल श्रम के मुख्य कारण क्या है?
उत्तर: बाल श्रम के मुख्य कारणों में गरीबी, शिक्षा की कमी, बेरोज़गारी, और बड़े परिवार शामिल होते हैं।
प्रश्न 7: बाल श्रम के संस्थापक कौन है?
उत्तर: बाल श्रम के संस्थापक व्यक्ति का नाम ज्ञात नहीं है, लेकिन इसे रोकने के लिए कई संगठनों और सरकारी निकायों ने कदम उठाए हैं।
प्रश्न 8: बाल श्रम दिवस कब आरंभ हुआ?
उत्तर: बाल श्रम दिवस का आयोजन 12 जून को होता है, जो बाल श्रम को रोकने और उससे जुड़े जागरूकता फ़ैलाने के लिए आयोजित किया जाता है।
प्रश्न 9: बाल श्रम में कौन सा देश प्रथम है?
उत्तर: बाल श्रम के मामले में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है, जिसमें लाखों बच्चे बाल श्रमिक के रूप में उपयुक्त होते हैं।
प्रश्न 10: भारत में कितने बाल मजदूर हैं?
उत्तर: भारत में अनुमानित रूप से 1.4 करोड़ से अधिक बाल मजदूर हैं, जो कई अन्य क्षेत्रों में काम करते हैं।
प्रश्न 11: भारत में बाल श्रम कानून क्या हैं?
उत्तर: भारत में बाल श्रम को रोकने के लिए कई कानून हैं, जिनमें बाल श्रम (प्रतिष्ठान और नियंत्रण) अधिनियम, 1986 और बाल कार्यशाला (नियंत्रण) अधिनियम, 1986 शामिल हैं।
प्रश्न 12: भारत में बाल श्रम क्यों हो रहा है?
उत्तर: भारत में बाल श्रम के पीछे कई कारण हैं जैसे कि गरीबी, शिक्षा की कमी, अराजकता, और बेरोज़गारी।
प्रश्न 13: सबसे ज्यादा बाल श्रम कौन से राज्य में है?
उत्तर: सबसे ज्यादा बाल श्रम के मामले बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पाए जाते हैं।
प्रश्न 14: हम बाल श्रम कैसे रोक सकते हैं?
उत्तर: बाल श्रम को रोकने के लिए हमें समाज के सभी स्तरों पर जागरूकता फ़ैलानी चाहिए और सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए। संबंधित अधिकारियों को निगरानी बढ़ानी चाहिए और बच्चों के शिक्षा और विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए।
निष्कर्ष
बाल मजदूरी एक वैशविक समस्या है, जो विकासशील देशों में बेहद आम है। माता-पिता या गरीबी रेखा से नीचे के लोग अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर पाते है और जीवन-यापन के लिये भी जरुरी पैसा भी नहीं कमा पाते है। इसी वजह से वो अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाए कठिन श्रम में शामिल कर लेते है। वो मानते है कि बच्चों को स्कूल भेजना समय की बरबादी है और कम उम्र में पैसा कमाना परिवार के लिये अच्छा होता है।
बाल मजदूरी के बुरे प्रभावों से गरीब के साथ-साथ अमीर लोगों को भी तुरंत अवगत कराने की जरुरत है। उन्हें हर तरह की संसाधनों की उपलब्ता करानी चाहिये जिसकी उन्हें कमी है। अमीरों को गरीबों की मदद करनी चाहिए जिससे उनके बच्चे सभी जरुरी चीजें अपने बचपन में पा सके। इसको जड़ से मिटाने के लिये सरकार को कड़े नियम-कानून बनाने चाहिए।
बाल श्रम को कम करने के लिए शिक्षा एक सिद्ध रणनीति है। शिक्षा का अभाव शोषण, अशिक्षा और गरीबी के चक्र को बनाए रखता है – भविष्य के विकल्पों को सीमित करता है और बच्चों को कम वेतन वाले काम को वयस्कों के रूप में स्वीकार करने के लिए मजबूर करता है। शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चे बाल श्रम की जड़ में गरीबी के चक्र को तोड़ सकते हैं।