अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर | International Politics MCQs Hindi
क्या आप अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की जटिल दुनिया में रुचि रखते हैं? क्या आप राष्ट्रों के बीच गतिशीलता, कूटनीतिक संबंधों की जटिलताओं और वैश्विक मुद्दों को समझने में खो जाते हैं? अगर हां, तो आपके लिए एक शानदार अनुभव लेकर आये हैं! हम गर्व से प्रस्तुत करते हैं हमारे “अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर” – एक व्यापक गाइड जो आपकी ज्ञान और समझ को इस रोचक क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
चाहे आप अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बारे में अध्ययन कर रहे हो, एक जिज्ञासु मानसिकता से अपने दृष्टिकोण को विस्तारित करने की कोशिश कर रहे हो, या फिर एक अनुभवी राजनीतिक उत्साही हो, यह गाइड आपके लिए वैश्विक राजनीति के इस विकसित रूप की रहस्यों को खोलने का माध्यम है।
“अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर” के एक यात्री बनें, जो राष्ट्रों को जोड़ने वाले धागों को सुलझाते हैं, अंतर्राष्ट्रीय निर्णय लेने के पीछे की शक्तियों का विश्लेषण करते हैं, और विश्व राजनीति के जटिल जाल की गहराईयों की अधिक गहराई की जानकारी प्रदान करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति क्या है
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो विभिन्न देशों के बीच संबंधों, सहयोग और संघर्ष की दिशा में विश्वास, नीतियों, और कार्रवाईयों का अध्ययन करता है। यह संबंध राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर आधारित होते हैं और देशों के बीच संबंधों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में देशों के संबंध, योजनाएँ, अद्यतन और मुद्दों की व्यवस्था की जाती है। यह देशों के बीच सहमति, सहयोग, सामंजस्य और समझौते की दिशा में काम करता है जो विभिन्न राष्ट्रों के हित में होते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का मुख्य उद्देश्य देशों के बीच विश्व सुरक्षा, शांति, सहयोग और सामंजस्य की दिशा में काम करना होता है। यह संबंध विभिन्न विश्व संगठनों, सम्मेलनों और समझौतों के माध्यम से व्यक्त किए जाते हैं ताकि अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान किया जा सके और सहमति के माध्यम से विश्वभर में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रख सके।
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का मतलब क्या होता है?
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का मतलब होता है विभिन्न देशों के बीच संबंध और सहयोग जो उनके संगठन, योजनाएँ और मुद्दों के परिप्रेक्ष्य में होते हैं। ये संबंध राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और विज्ञानिक क्षेत्र में हो सकते हैं और दोनों देशों के बीच समझौते, सहमति और सहयोग की माध्यम होते हैं। यह संबंध द्विपक्षीय या बहुपक्षीय हो सकते हैं, जिनमें दो देशों के बीच या एक समूह या संगठन के सदस्यों के बीच संबंध होते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का मुख्य उद्देश्य देशों के बीच सहयोग और सहमति को बढ़ावा देना होता है ताकि विभिन्न मुद्दों का समाधान किया जा सके और सामान्य मानवाधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण की जा सके। यह संबंध विभिन्न क्षेत्रों में विकास, व्यापार, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, वाणिज्यिक आदान-प्रदान, और सांस्कृतिक विनिमय में मददगार हो सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के माध्यम से देश आपसी सहयोग, सामंजस्य और समझौते के रास्ते खोजते हैं, जो विश्व स्तर पर सहयोगी और सुरक्षित भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण होते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रकार
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का मतलब होता है विभिन्न देशों के बीच के संबंध जो उनके संगठन, योजनाएँ और मुद्दों के परिप्रेक्ष्य में होते हैं। ये संबंध द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दो आवश्यक श्रेणियों में विभाजित होते हैं।
1. द्विपक्षीय संबंध: द्विपक्षीय संबंध दो देशों के बीच के संबंध होते हैं जो उनके आपसी सहमति और सहयोग पर आधारित होते हैं। यह संबंध दोनों देशों के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को समझने और समाधान करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। द्विपक्षीय संबंध विभिन्न क्षेत्रों में विकास, व्यापार, विज्ञान, सांस्कृतिक आदान-प्रदान में मददगार होते हैं।
2. बहुपक्षीय संबंध: बहुपक्षीय संबंध एक समूह या अंतर्राष्ट्रीय संगठन के सदस्यों के बीच के संबंध होते हैं। यह संबंध अधिक संख्या में देशों को शामिल करते हैं और उनके बीच सहमति, सहयोग और संघर्ष को प्रबंधन करने के लिए बनाए जाते हैं। बहुपक्षीय संबंध विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के माध्यम से महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन।
इन द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों के माध्यम से देश आपसी सहयोग, सामंजस्य और समझौते के रास्ते खोजते हैं, जो विश्व स्तर पर सहयोगी और सुरक्षित भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण होते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संगठन
अंतर्राष्ट्रीय संगठन विभिन्न देशों के बीच सहयोग और सहमति को प्रोत्साहित करने का माध्यम होते हैं। इनमें संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, और विश्व वाणिज्य संगठन शामिल हैं। ये संगठन विभिन्न मुद्दों पर सहमति और सहयोग की दिशा में काम करते हैं और विश्व स्तर पर समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं। कुछ प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठन निम्नलिखित हैं:
- संयुक्त राष्ट्र (यूएन): संयुक्त राष्ट्र विश्वभर में शांति और सुरक्षा, विकास, मानवाधिकार, और आपसी सहमति को प्रमोट करने के लिए समर्पित है। यह देशों के बीच सहयोग और संबंधों की मदद करता है ताकि विश्व भर में सद्भावना और सहयोग बढ़ सके।
- विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ): डब्ल्यूटीओ व्यापार और विपणन के क्षेत्र में सहयोग और सुविधाएँ प्रदान करता है। यह विभिन्न देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को प्रोत्साहित करके आर्थिक विकास को संवारने में मदद करता है।
- आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (आईसीडी): आईसीडी गरीब और विकासशील देशों को आर्थिक सहयोग प्रदान करने का काम करता है। यह विकास के क्षेत्र में सहयोग करके गरीबी को कम करने और देशों को सामर्थ्य देने में मदद करता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ): डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों को समझने और समाधान करने में मदद करता है। यह विश्वभर में बीमारियों के प्रसार को रोकने और स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा प्रदान करने का काम करता है।
- आर्थिक सहमति और विकास संगठन (आईएमएफ): आईएमएफ आर्थिक सहमति और विकास के क्षेत्र में सहयोग प्रदान करता है। यह आर्थिक नीतियों को सुधारने, आर्थिक स्थिरता बनाने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने का काम करता है।
इन अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिकाएँ विश्व में सहयोग और सहमति को बढ़ावा देती हैं और विभिन्न क्षेत्रों में सुधार को समर्थन प्रदान करती हैं।
विश्व शांति और सुरक्षा
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में विश्व शांति और सुरक्षा की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विभिन्न देशों के बीच संघर्षों को रोकने और शांति बनाए रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन और समझौते की आवश्यकता होती है।
विश्व शांति और सुरक्षा मानवता के लिए महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। यह विश्वभर में सामाजिक संरचना, राष्ट्रों के बीच संबंध, और विकास की मौजूदा स्थिति पर प्रभाव डालता है। विश्व शांति के लिए विभिन्न माध्यम और प्रक्रियाएँ अपनाई जा रही हैं:
- विकास और सहयोग: विकासशील देशों के सहयोग से गरीबी कम की जा सकती है और यह शांति को स्थायी बनाने में मदद कर सकता है। विकास के क्षेत्र में सहयोग द्वारा राष्ट्रों के बीच समझौते हो सकते हैं और आपसी सहमति पर आधारित संबंध बढ़ सकते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका: संयुक्त राष्ट्र (यूएन), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ), नेतृत्व और सहयोग के क्षेत्र में अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। ये संगठन विश्वभर में सहयोग और सुरक्षा की स्थापना में मदद करते हैं।
- विद्युत युद्ध और संयम: विद्युत युद्ध के असरों को कम करने के लिए संयम और संबंधों में विश्वास की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संवाद शांति और सुरक्षा की स्थापना में मदद कर सकते हैं।
- आतंकवाद और अपराध: विश्व शांति को खतरे में डालने वाले आतंकवाद और अपराध के खिलाफ संयुक्त प्रयास आवश्यक हैं। अंतर्राष्ट्रीय साझा प्रयास से इन मुद्दों का समाधान संभव हो सकता है।
- विश्वयुद्धों से बचाव: विश्व युद्धों को रोकने और संघर्षों के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहमति और समझौते की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
विश्व शांति और सुरक्षा की स्थापना एक संघर्षपूर्ण कार्य है, लेकिन विभिन्न देशों और संगठनों के सहयोग से यह संभव है।
आर्थिक सहयोग और व्यापार
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में आर्थिक सहयोग और व्यापार भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विभिन्न देश आपसी आर्थिक लाभ के लिए सहयोग करते हैं और व्यापारिक संबंध बनाते हैं।
आर्थिक सहयोग और व्यापार मानव समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह राष्ट्रों के बीच आर्थिक संबंधों के माध्यम से विकास, वृद्धि, और प्रगति को बढ़ावा देते हैं।
- विदेशी निवेश और व्यापारिक सहमति: आर्थिक सहयोग के रूप में देशों के बीच विदेशी निवेश और व्यापारिक सहमति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह साथी देशों के बीच वस्त्र, खाद्यान, तकनीक, और सेवाओं की विनिमय को बढ़ावा देता है और उनके विकास को गति देता है।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों की भूमिका: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले और उद्योगिक यातायात के क्षेत्र में आयोजित होने वाले समारोह विभिन्न देशों के बीच व्यापार और सहयोग की बढ़ती मानसिकता को प्रोत्साहित करते हैं।
- आर्थिक संगठनों की भूमिका: आर्थिक सहयोग के लिए विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (आईसीडी), और वित्तीय संगठन (आईएमएफ) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये संगठन आर्थिक सहयोग, संबंधों में सुधार, और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
- आवश्यक सामग्री के व्यापार: विभिन्न देशों के बीच आवश्यक सामग्री के व्यापार भी आर्थिक सहयोग का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सामग्री उन देशों के लिए आवश्यक होती है जिनके पास उस सामग्री की कमी होती है और इसके माध्यम से आर्थिक सहयोग प्रदान होता है।
आर्थिक सहयोग और व्यापार के माध्यम से विभिन्न देश आपस में जुड़कर अपने विकास की गति तेज कर सकते हैं और सामाजिक आर्थिक सुधार की दिशा में कदम उठा सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
International Politics MCQs Hindi
Q1. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का क्या अर्थ है?
उत्तर:- अंतर्राष्ट्रीय राजनीति तमाम उन क्रियाओं का अध्ययन करना है जिसके कलेवर में राज्य अपने राष्ट्र हितों की पूर्ति हेतु शक्ति के आधार पर संघर्ष में जुटे रहते हैं।
Q2. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का स्वरूप कैसा है?
उत्तर:- अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का स्वरूप स्थिति नहीं है परिवर्तनशील है जटिलताओं से परिपूर्ण है जैसे-जैसे इसमें परिवर्तन आया है इसके अध्ययन और सामान्यीकरण हेतु नए उपागमों की आवश्यकता होती है।
Q3. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के तीसरे सौपान की क्या विशेषता रही?
उत्तर:- इस सोपान में राज्यों द्वारा राष्ट्र संघ की स्थापना के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के सुधार की कल्पना की गई, इस काल के विचारकों का मानना था कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के विकास से ही विश्व की समस्याओं का समाधान संभव है।
Q4. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को स्वायत्त विषय कहने के लिए विपक्ष में क्या तर्क दिया जाता है?
उत्तर:- किसी भी नीति के संपूर्ण अध्ययन हेतु उसके आर्थिक, मनोवैज्ञानिक, भौगोलिक और राजनीतिक पहलुओं की जानकारी जरूरी है, इस दृष्टि से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को केवल राजनीति शास्त्र का ही एक भाग माना जाता है, इससे अधिक नहीं।
Q5. अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक में गैर राज्य अभिनेताओं द्वारा किन दो प्रकार की ताकतों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:- अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक में, गैर राज्य अभिनेताओं द्वारा दो प्रकार की ताकतों का प्रयोग किया जाता है: राज्य पर बाहर से दबाव डालना और राज्य की सीमाओं के अंदर से दबाव।
Q6. बहुत से विद्वान अंतर्राष्ट्रीय राजनीति शब्द के स्थान पर विश्व राजनीति शब्द का प्रयोग क्यों करना चाहते हैं
उत्तर:- कई विद्वान अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को विश्व राजनीति के नाम से बुलाना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि, एक राज्य में रहने वाले व्यक्ति केवल अपनी सरकारों द्वारा बनाई गई नीतियों से ही नहीं प्रवाहित होते, बल्कि उनके जीवन पर अन्य देशों की राजनीति तथा अर्थव्यवस्थाओं या आर्थिक नीतियों का भी प्रभाव पड़ता है।
Q7. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में अंतर बताएं।
उत्तर:- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के विषयों का मुख्य अंतर इनके विस्तार में है। राजनीति, मुख्य रूप से बलशक्ति के मामले से संबंधित होती है। यह युद्ध तथा शांति संघर्ष तथा तोल मोल, नियंत्रण तथा प्रभुसत्ता से संबंध रखती है।
जबकि संबंध एक सामान्य घटना है जिसमें व्यापार तथा सहयोग, सांस्कृतिक लेन देन तथा वैज्ञानिक सहकार्यता और राज्य के राजनीतिक संबंधों सहित अन्य कई चीजों में, लोगों से संबंध सम्मिलित होते हैं। यह एहसास, सामान्य रूप से सामाजिक विज्ञान में व्यवहार क्रांति और विशेष रूप से राजनीति से उजागर होता है और इस विषय को ज्यादा सैद्धांतिक और नीति संबंधित गहराई प्रदान करता है।
Q8. यथार्थवाद की प्रमुख विशेषताएं क्या क्या है?
उत्तर:- यथार्थवादी का सिद्धांत तर्क एवं अनुभव पर आधारित है, शक्ति को अत्यधिक महत्व देता है तथा कल्पना की अपेक्षा वास्तविकता में विश्वास करता है।
Q9. मारगेन्थाऊ द्वारा यथार्थवादी दृष्टिकोण में राष्ट्र के नैतिक मूल्यों के विषय में क्या तर्क दिया गया?
उत्तर:- नैतिक मूल्य, सार्वभौमिक मूल्यों से भिन्न होते हैं। प्रत्येक राष्ट्र को राष्ट्रीय हित की ओर अग्रसर रहना चाहिए। अतः राष्ट्र का नैतिक मूल्य सार्वभौमिक मूल्य नहीं हो सकता।
Q10. आदर्शवादी सिद्धांत की आलोचना के प्रमुख बिंदु क्या थे?
उत्तर:- यह सिद्धांत कल्पना पर आधारित है, इसका राष्ट्रों की राजनीति से कुछ लेना-देना नहीं है, इसमें नैतिकता पर जरूरत से ज्यादा बल दिया गया तथा राष्ट्रहित में शक्ति एवं संघर्ष दोनों का स्थान होता है, यह सिद्धांत इसे नकारता है।
Q11. खेल उपागम या दृष्टिकोण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:- यह अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में तर्कसंगत व्यवहार का प्रतिमान है जिससे प्रत्येक राज्य अपने विदेशी नीति के संचालन के क्रम में ऐसा निर्णय ले जिसे उसके हितों में वृद्धि के अधिकतम अवसर प्राप्त हो सके।
Q12. राष्ट्रीय शक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर:- राष्ट्रीय शक्ति एक राज्य द्वारा दूसरे राज्य को प्रभावित करने की क्षमता है, इस क्षमता के पीछे दंडात्मक शक्ति भी होती है, उसी के डर से शक्ति प्रभावित होती है।
Q13. शक्ति संतुलन का क्या अर्थ होता है?
उत्तर:- शक्ति संतुलन का अर्थ है कि एक राज्य या राज्यों के द्वारा दूसरे राज्य / राज्यों के समूह के सापेक्ष अपनी शक्ति इतनी बढ़ा लेना कि वह उसके समान स्तर पर हो जाए।
Q14. गौण हितों का राष्ट्र में क्या स्थान होता है?
उत्तर:- किसी भी राष्ट्र को सत्ता में बनाए रखने के लिए गौण हित प्रमुख होते हैं, इन हितों के माध्यम से राष्ट्र अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक विरासत द्वारा स्थापित आकांक्षाओं की पूर्ति करता है तथा अपने विदेशों में स्थापित कार्यों की पूर्ति करता है।
Q15. विदेश नीति के मुख्य लक्षण क्या-क्या होते हैं?
उत्तर:- राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, अनुकूल विश्व व्यवस्था, सैन्य क्षमता का विकास, राष्ट्रीय स्वतंत्रता की सुरक्षा, विदेशों में बसे नागरिकों की सुरक्षा, धार्मिक व सांस्कृतिक उद्देश्यों की प्राप्ति आदि विदेशी नीति के प्रमुख लक्ष्य होते हैं।
Q16. कूटनीति के क्या क्या कार्य होते हैं?
उत्तर:- विशेषज्ञ कूटनीतिज्ञयों द्वारा शांति निर्माण, व्यापार, युद्ध, अर्थशास्त्र, संस्कृति और पर्यावरण विभिन्न मसलों के संबंध में मध्यस्थता के रास्ते अंतर्राष्ट्रीय संबंध स्थापित किए जाते हैं।
Q17. वर्तमान में सत्ता संतुलन में, युद्ध की क्या भूमिका है?
उत्तर:- परमाणु हथियारों के उभार तथा युद्ध तकनीकों में होने वाले क्रांतिकारी विकास ने युद्ध की प्रकृति को पूरी तरह बदल कर रख दिया है, आज अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में युद्ध एक भयानक परिस्थिति के रूप में उभर कर आया है।
Q18. एक राजनीति प्रणाली होने के नाते, विचारधारा की दो मूल विशेषताएं क्या है?
उत्तर:- एक विचारधारा की दो मूल विशेषताएं होती हैं (A) वचनबद्धता, और (B) कार्यवाही
Q19. उदार विचारधारा के 3 मूल सिद्धांत?
उत्तर:- उदार विचारधारा के 3 मूल सिद्धांत – लोकतंत्र से प्यार, स्वतंत्रता की चाहत, और मानवतावाद का आदर
Q20. UK और USA की राजनीतिक संस्थाओं के ढाचों में बड़ा परिवर्तन क्यों नहीं आया है?
उत्तर:- इंग्लैंड की कंसरवेटिव पार्टी और लेबर पार्टी और दूसरी और अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी और लेबर पार्टी के बीच बहुत कम अंतर है, ऐसा इसलिए क्योंकि इन समाजों में, मौजूदा राजनीतिक ढांचे के अंदर बहुत तेज आर्थिक विकास हुआ है।
लोग अपने आर्थिक संस्थानों को बदलने के लिए तैयार नहीं है, जिनसे उन्हें राजनीतिक स्थिरता मिली है। इसके बावजूद, इन देशों में विचारधारा खत्म नहीं हुई।
Q21. विचारधारा के अंत का क्या मतलब है?
उत्तर:- विचारधारा की वर्तमान स्थिति पर 1950 और 1960 के दशक के मध्य में पुनर्विचार किया गया था। पश्चिमी उदार लोकतांत्रिक देश में, विचारधारा के युग के अंत की घोषणा कर दी गई थी।
विचारधारा के अंत का यह भी मतलब था कि औधोगिक विकास के अनंत स्तर पर, एक देश का सामाजिक व आर्थिक संगठन उसके विस्तार के स्तर से मापा जाता है, न कि उसकी राजनीतिक विचारधारा से।
Q22. पोस्ट-पूंजीवादी समाज में औद्योगिक तथा सामाजिक संघर्षों का क्या संबंध है?
उत्तर:- पोस्ट पूंजीवादी समाज में उद्योग तथा समाज को अलग कर दिया गया था। अब औद्योगिक क्षेत्र के सामाजिक संबंध, औद्योगिक संघर्ष सहित, अब सारे समाज पर हावी नहीं होते थे।
Q23. भिन्न प्रकार के राष्ट्रीय हितों का वर्णन करें।
उत्तर:- भिन्न प्रकार के राष्ट्रीय गीत है: महत्वपूर्ण बनाम अनमुख्य, स्थाई बनाम अस्थाई, सामान्य बनाम विशिष्ट, पूरक बनाम विरोधी।
Q24. थॉमस डब्लू रॉबिनसन द्वारा परिभाषित, राष्ट्रीय हितों के व्यापक वर्गीकरण कौन से हैं?
उत्तर:- थॉमस डब्लू रॉबिनसन ने राष्ट्रीय हितों को 6 व्यापक वर्गों में बांटा है- (।) प्रार्थमिक हित (।।) माध्यमिक हित (।।।) स्थाई हित (।v) वेरिएबल हित (v) सामान्य हित (v।) विशिष्ट हित । इसके अतिरिक्त रॉबिंसन 3 अन्य प्रकार के हितों की बात करते हैं- (।) समान हित (।।) पूरक हित (।।।) परस्पर विरोधी हित ।
Q25. राष्ट्रीय हितों को खतरनाक क्यों माना जाता है?
उत्तर:- अक्सर ऐसा कहा गया है कि राष्ट्रीय हित , किसी भी देश की विदेश नीति का मूलाधार होते हैं। इतिहास इस बात का साक्षी है जब शासकों ने राष्ट्रीय हित के नाम पर अपने कई गलत कार्यों को सही सिद्ध किया है, इसलिए राष्ट्रीय हितों को खतरनाक कहा जाता है।
Q26. विकासहीन और विकासशील देश, विकसित देशों के साथ गठबंधन करना क्यों पसंद करते हैं?
उत्तर:- विकासहीन तथा विकासशील देशों को अपने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में प्रसिद्ध संरचनात्मक बाधाओं कथा बल विषमताओं का सामना करना पड़ता है।
इन राष्ट्र-राज्यों का सीमित आर्थिक भार, आमतौर पर राष्ट्रीय लेनदेन में इनका महत्व कम कर देता है। अपने राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए, दूसरे विकासशील देशों के साथ गठबंधन में भाग लेने से विकासशील देशों के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को बढ़ावा मिलता है। आजकल यह रणनीति बहुत से देशों द्वारा अपनाई जा रही है।
Q27. शब्द शक्ति संतुलन का क्या मतलब?
उत्तर:- अपने सरल अर्थ में शक्ति संतुलन का मतलब विभिन्न राज्यों की शक्ति में किसी न किसी संतुलन के अस्तित्व से है, कम, ज्यादा या समान रूप से अलग-अलग राज्यों से साझा किया जाना चाहिए। इस अवधारणा को एक स्थिति, एक प्रक्रिया, एक नीति, और एक प्रणाली के रूप में जाना जा सकता है।
Q28. शक्ति संतुलन को किन युक्तियों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:- युक्तियों के माध्यम से जो शक्ति के संतुलन को प्राप्त किया जा सकता है: आयुध, गठबंधन और काउंटर गठबंधन, क्षेत्र के विलय, बफर राज्य, हस्तक्षेप और विभाजन।
Q29. शक्ति संतुलन की अवधारणा किस परंपरा से जुड़ी हुई है?
उत्तर:- शक्ति संतुलन की अवधारणा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की यथार्थवादी परंपरा से जुड़ी हुई है।
Q30. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में संतुलन को मापने में क्या मुश्किलें हैं?
उत्तर:- शक्ति संतुलन की अवधारणा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की अवधारणा पर केंद्रित है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में संतुलन को मापना मुश्किल है। हमारे पास इतिहास के एक निश्चित समय बिंदु पर और राज्यों की स्थिति और शक्ति को मापने की कोई युक्ति मौजूद नहीं है और दावा है कि एक संतुलन मौजूद है।
Q31. राष्ट्र संघ के विफलता के क्या कारण है?
उत्तर:- अमेरिका द्वारा राष्ट्र संघ का सदस्य ना बनना, जर्मनी और फ्रांस के मतभेद नहीं रहना, सोवियत संघ का संगठन से बाहर रहना, जापान, जर्मनी, इटली द्वारा इसकी खुली अवमानना, राष्ट्र संघ की विफलता के कारण हैं।
Q32. क्या सामूहिक सुरक्षा द्वारा शक्ति पर अंकुश लगाया जा सकता है?
उत्तर:- सिद्धांत और व्यवहार दोनों ही परिस्थितियों में अब सामूहिक सुरक्षा के आधार पर शक्ति पर अंकुश लगाना कठिन है।
Q33. यू एन चार्टर के पहले अनुच्छेद में क्या उद्देश्य किया गया है?
उत्तर:- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना और उसके लिए शांति भंग करने की धमकियों के विरुद्ध और शांति भंग करने वालों के विरुद्ध प्रभावशाली सामूहिक कदम उठाना।
Q34. सामूहिक सुरक्षा के विषय में क्लाड द्वारा क्या कहा गया?
उत्तर:- क्लाड का कथन है, “सामूहिक सुरक्षा, स्थानीय आक्रमण और प्रक्रिया में वैश्विक विरोध की व्यवस्था करके, नैतिक आधारों पर भी हर स्थानीय युद्ध का वैशवीकरण करके हिंसा के वैश्विक उपयोग को बढ़ावा देती है।
Q35. सामरिक परमाणु हथियारों की विशेषताएं क्या है?
उत्तर:- सामरिक परमाणु हथियारों के एक 1 किलोटन अंश की लिस्ट शक्ति रखने के लिए जाना जाता है या 1 किलोटन बराबर होता है, टीएनटी के 1,000 टन के, जबकि सामरिक हथियारों के विस्फोटक बल के हजारों किलोटन उत्पादन कर सकते हैं।
Q36. उन देशो के नाम बताए जिन्होंने परमाणु हथियारों के प्रसार (एनपीटी) संधि को परमाणु हथियार राज्यों के रूप में स्वीकार किया है।
उत्तर:- परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्रों के रूप में परमाणु हथियारों के अप्रसार (एनपीटी) संधि को देशों ने स्वीकार किया है: संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, रूस ( पूर्व सोवियत संघ), फ्रांस और चीन।
Q37. तकनीकी नियतिवाद क्या है?
उत्तर:- तकनीकी नियतिवाद परमाणु अधिग्रहण का एक प्रेरक पहलू माना जाता है जो यह कहता है कि राष्ट्र- राज्य के रूप में पहले परमाणु हथियारों का विकास करेगा और बाद में पांच एन डब्लू एस के पथ
का पालन करेगा जैसे ही यह आवश्यक बुनियादी ढांचे का अधिग्रहण करता है।
Q38. UNSCOM क्या है?
उत्तर:- इराक में व्यापक जनसंहार हथियारों (WMP) के कार्यक्रम की देखरेख करने के लिए UNSCOM (संयुक्त राष्ट्र की विशेष समिति) एक विशेष निरीक्षण व्यवस्था 1991 के खाड़ी युद्ध के बाद स्थापित किया गया था। समिति में अस्तित्व में आने के बाद कई समस्याओं में भाग लिया।
Q39. विदेश नीति के आंतरिक तथा बाह्य तत्वों का क्या अर्थ है?
उत्तर:- आंतरिक तत्वों में भू-राजनीतिक स्थिति, आर्थिक स्थिति तथा विचारात्मक तत्वों, विशिष्ट वर्ग तथा हित समूह शामिल शामिलहोते हैं और बाह्य तत्वों में बाहरी, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा विश्व वातावरण को शामिल करते हैं।
Q40. विदेश नीति में भूगोल की क्या भूमिका है?
उत्तर:- यद्यपि भूगोल विदेश नीति का प्रमुख तत्व है परंतु संचार व्यवस्था में विकास तथा आधुनिक युद्ध तकनीक तथा राष्ट्रों की भौगोलिक रुकावटों पर काबू पाने की क्षमता ने भूगोल की भूमिका को कम कर दिया है।
Q41. आर्थिक संबंधों का प्रभाव किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय राजनीति और भारतीय विदेश नीति पर पड़ रहा है?
उत्तर:- आज अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों द्वारा निर्देशित हो रही है और भारतीय विदेश नीति में भी आर्थिक तत्व प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं, कारोबारी समुदाय, आर्थिक और वाणिज्य संगठन जैसे फिक्की आदि भी भारतीय विदेशी आर्थिक संबंधों को प्रभावित कर रहे हैं।
Q42. वर्तमान में भारतीय विदेश नीति की क्या स्थिति है?
उत्तर:- विश्व व्यवस्था को बहूकेंद्रीय रूप में विकसित करने की आवश्यकता भारतीय विदेश नीति को आज प्रभावित कर रही है। आज भारत अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के विश्व जनमत तथा विश्व एकता को संगठित करने के लिए दृढ़ प्रयत्न कर रहा है।
Q43. वैचारिक दृष्टिकोण के अंतर्गत किस प्रकार का विश्लेषण किया जाता है?
उत्तर:- वैचारिक दृष्टिकोण से विदेश नीति का विश्लेषण मौजूदा राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं की अभिव्यक्ति के रूप में किया जाता है, विदेश नीति के वैचारिक संदर्भ के अध्ययन के लिए यह प्रार्थमिक तौर पर आवश्यक और उपयोगी है।
Q44. यथार्थवादी और आदर्शवादी दृष्टिकोण में क्या अंतर है?
उत्तर:- यथार्थवादी दृष्टि राज्य की सुरक्षा पर आधारित होता है और यह सुरक्षा रक्षाउन्मुखी हो सकता है, वहीं दूसरी ओर आदर्शवादी दृष्टिकोण मूल्यों और नियमों पर आधारित होता है और इसकी प्रकृति सहयोगपूर्ण होती है।
Q45. विदेश नीति विश्लेषण का क्या अर्थ है?
उत्तर:- विदेश नीति विश्लेषण में इस बात का अध्ययन किया जाता है कि इस तरह से कोई देश अपनी विदेश नीति बनाता है, चूँकि इसमें निर्णय प्रक्रिया का विश्लेषण होता है इसलिए इसमें अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू दोनों राजनीति का अध्ययन शामिल होता है।
Q46. सेटिंग पद्धति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:- यह पद्धति जहां सरकार के स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को परिभाषित करती है, वहीं यह गैर-सरकारी कारकों और संबंधों को भी परिभाषित करती है, जिन पर सेटिंग की अवधारणा के अंतर्गत प्रभाव पड़ता है।
Q47. अलगाववाद का क्या अर्थ है?
उत्तर:- अलगाववाद अर्थ पृथकता की नीतियों से है जो अंतर्राष्ट्रीय मामलों में महाशक्ति की आपत्ति शून्यता की मुद्रा के अलगाव से अलग होता है।
Q48. नैम की प्रशासनिक शैली किस प्रकार की है?
उत्तर:- नैम प्रशासनिक शैली अनोखी है। यह रोटेशन के सिद्धांतों पर आधारित नहीं है ।यह सभी को शामिल करती है, और सुनिश्चित करती है कि सारे सदस्य देशों को वैश्विक निर्णय की प्रक्रिया और विश्व की राजनीति में हिस्सा लेने का अवसर मिले।
Q49. नई सहस्त्राब्दी में नैम आंदोलन की क्या भूमिका है?
उत्तर:- इस आंदोलन ने इन प्रमुख बुराइयों को समाप्त करने का प्रयास किया:- बल प्रयोग, आक्रमकता, नस्लवाद, विदेशी कब्जे, अनुचित आर्थिक व्यवहार तथा उदारीकरण और वैश्वीकरण की दूरी शक्तियां।
Q50. नैम किस प्रकार आज भी प्रासंगिक हैं?
उत्तर:- नैम आज भी पूरी तरह से प्रासंगिक है, यह अंतर्राष्ट्रीय समुदायों विशेष तौर पर दुनिया के विकासशील देशों की जरूरतों को पूरा करता है, यह अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में स्वतंत्र रुख अपनाने तथा अपने वाजिव अधिकारों और हितों को सुनिश्चित करने के लिए सदस्य देशों का प्रमुख अवलंब है।
Q51. दुनिया के देशों को किस प्रकार विभिन्न समूह में वर्गीकृत किया जा सकता है?
उत्तर:- दुनिया के देशों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है: बड़ी शक्तियां, मध्य शक्तियां और छोटी शक्तियां।
Q52. एक पेशे के तौर पर कूटनीति की पहचान कब और कहां की गई?
उत्तर:- कूटनीति 15 वी शताब्दी के अंत तक ही एक पेशे के तौर पर पूरी तरह से अपनी पहचान बना सकी। सन 1815 में विएना कि कांग्रेस में, राजनीतिज्ञों या नीतिज्ञों के पेशों से अलग, कूटनीति को एक पेशे के रूप में पहचान प्राप्त हुई थी।
Q53. डिप्लोमेसी शब्द की उत्पत्ति का स्रोत क्या है?
उत्तर:- डिप्लोमेसी शब्द की उत्पत्ति (Diploun) शब्द से हुई है जिसका तात्पर्य है ‘मोड़ना’।
Q54. अपनी विदेश सेवा के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों के चयन हेतु प्रथम परीक्षा का आरंभ इंग्लैंड ने किस वर्ष में किया था?
उत्तर: यह वर्ष 1856 में हुआ की विदेश सेवा हेतु उत्तम कर्मचारियों का चयन करने की प्रक्रिया में लॉर्ड क्लारेंडन के द्वारा फ्रांसीसी में एक प्राथमिक परीक्षा को शुरू किया गया।
Q55. एक लोकतांत्रिक देश के राजनीतिक की एक सर्वाधिकारवादी (एकदलीय) देश में क्या भूमिका होती है?
उत्तर:- सर्वाधिकारवादी (एकदलीय) देश में किसी लोकतांत्रिक देश के राजनयिक के उत्तरदायित्व भी नाजुक एवं जटिल होते हैं क्योंकि उसे ऐसे देश में सरकार की विधियों एवं तरीकों के साथ स्वयं का ताल-मेल बिठाना होता है।
Q56. एक ऐसे राजनीतिज्ञ का नाम बताइए जिसे एक मुक्त कूटनीति का एक अहम समर्थक माना जाता है।
उत्तर:- अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन को मुक्त कूटनीति का एक बहुत महत्वपूर्ण समर्थन माना जाता है
Q57. 1899 व 1907 की हेग विचार-सभा किस प्रकार की कूटनीति का उदाहरण है?
उत्तर:- वर्ष 1899 और 1907 की हेग कांग्रेस विचार – सभा की कूटनीति का एक उदाहरण है।
Q58. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में किस प्रकार के देशों को एक गंभीरता से लेने लायक शक्ति माना जाता है?
उत्तर:- एक देश जिसके पास परमाणु हथियार है उसे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एक गंभीरता से लेने लायक शक्ति माना जाता है।
Q59. भारतीय दर्शन के अनुसार किसी विवाद का निपटारा करने के लिए कौन सी विचार विधियां है?
उत्तर:- भारतीय दर्शन के अनुसार, किसी विवाद का निपटारा करने की चार विधियां हैं: साम, दाम, दंड और भेद।
Q60. नई विश्व व्यवस्था शब्दों का प्रयोग कब और क्यों किया गया था?
उत्तर:- नई विश्व व्यवस्था शब्दों का प्रयोग शीतयुद्ध के बाद के युग की घोषणा करने के लिए किया गया था, इसे विशिष्ट 3 समय कालो , पहले सोवियत संघ द्वारा बाद में माल्टा सम्मेलन से पहले और फिर 11 सितंबर 1990 में अमेरिका द्वारा।
Q61. नई विश्व व्यवस्था की जगह किन विचारधाराओं ने जन्म लिया?
उत्तर:- इसकी जगह ऐसी विचारधारा सामने आई जिसमें शीतयुद्ध के बाद व्यवस्था के बारे में सोचा जाता था, इसमें से प्रमुख थी वैश्वीकरण के योग्य, यूनीपोलरक्षण, इतिहास के अंत और सभ्यताओं का टकराव।
Q62. भूमंडलीकरण की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?
उत्तर:- भूमंडलीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का किया जाता है ताकि वस्तुओं और सेवाओं, तकनीकी ज्ञान तथा पूंजी एवं श्रम का निर्बंध आवागमन हो सके।
Q63. भूमंडलीकरण का रोजगार पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:- भूमंडलीकरण ने गैर कृषि क्षेत्र एवं असंगठित क्षेत्रों में रोजगार में वृद्धि की है लेकिन इसके प्रत्यक्ष प्रभाव ने रोजगार सृजन एवं रोजगार के अवसरों के विस्तार के वादों को झूठ साबित कर दिया है।
Q64. राष्ट्र -राज्य का क्या अर्थ है?
उत्तर:- इसमें ‘ राष्ट्र’ शब्द का अर्थ है सामान्य वंश, भाषा क्षेत्र राजनीतिक इकाई तथा धर्म और परंपरा के आधार पर लोगों की सामान्य पहचान। ‘राज्य’ शब्द का अर्थ है, जनसंख्या, क्षेत्र, सरकार और स्वतंत्रता के आधार पर बनी एक राजनीतिक इकाई।
Q65. हिंदु अतिवाद और मुस्लिम अतिवाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:- हिंदू अतिवाद ने भारत में सदियों से चली आ रही हिंदुत्व की उपस्थिति को महत्व दिया और दूसरी और मुस्लिम अतिवादियों ने अपनी धार्मिक पहचान के आधार पर अलग राष्ट्र की मांग की इसलिए 1947 में देश का विभाजन भी हुआ।
Q66. गैट और विश्व व्यापार संगठन (WTO) में क्या अंतर है?
उत्तर:- गैट के अंतर्गत सदस्य देश विश्व व्यापार की समस्याओं के विषय में चर्चा कर रहे थे लेकिन WTO स्थाई व्यापार की संस्था है। जिसकी कानूनी स्थिति है और यह विश्व बैंक तथा ।MF के समकक्ष स्थान रखता है।
Q67. गेट के कृषि संबंधी समझोते में क्या कार्य आते हैं
उत्तर:- यह समझौता घरेलू सब्सिडी के निर्यात सब्सिडी, न्यूनतम मार्केट प्रवेश की वचनबद्धता, घरेलू प्रोत्साहन, स्वास्थ्य, वनस्पति तथा खाध सहायक कार्यों से जुड़ा है।
Q68. आफिशियल यूनाइटेड स्टेट्स कोड के द्वारा क्या समझते हैं?
उत्तर:- आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र कोड आतंकवादी गतिविधियों पर एक आम सहमति को प्रस्तुत करता है। यह कहता है कि एक आतंकवादी गतिविधि का तात्पर्य ऐसी गतिविधि हैं:-
a. जिसमें एक ऐसा हिंसक कार्य या मानव जीवन के लिए खतरनाक कार्य शामिल होता है जोकि संयुक्त राष्ट्र या किसी देश के अपराध संबंधी कानूनों का उल्लंघन है या जोकि अगर संयुक्त राष्ट्र के या किसी देश के क्षेत्राधिकार के भीतर किए जाने पर एक आपराधिक उल्लंघन होगा।
b. जो इरादतन की गई हुई प्रतीत होती है:- (।) ताकि किसी देश के नागरिकों को डराया या दबाया जा सके (।।) ताकि डराकर या दबाकर किसी सरकार की नीति को प्रभावित किया जा सके, या (।।।) ताकि हत्या या अपहरण के द्वारा किसी सरकार के व्यवहार को प्रभावित किया जा सके
Q69. आतंकवादी गुटों के प्रमुख विभाजन कौन से हैं?
उत्तर:- आतंकवादी गुटों के प्रमुख विभाजन हैं:
a. वामपंथी आतंकवादी
b. दक्षिणपंथी आतंकवादी
c. जातीय – राष्ट्रवादी/अलगाववादी आतंकवादी
d. धार्मिक आतंकवादी
Q70. आतंकवाद का सामना करने के लिए जिन दों कदमों को उठाने की आवश्यकता है उनका वर्णन करें।
उत्तर:- देश की सैन्य शक्ति की कुशलता को बढ़ाना तथा सरकार की बेहतर नीतियों एवं कार्यक्रम आतंकवाद का सामना करने हेतु लिए जाने वाले दो आवश्यक कदम हैं।
Q71. आतंकवाद विरोधी गतिविधियों में अमेरिका की क्या भूमिका है?
उत्तर:- आतंकवादी विरोधी गतिविधियों में अमेरिका की भूमिका यह है कि आतंकवाद के विरुद्ध US के नेतृत्व में युद्ध में कई छोटे देशों के साथ मिलकर काम करने की नीतियों की आवश्यकता है।
Q72. अपरंपरागत आतंकवाद का क्या अर्थ है?
उत्तर:- अपरंपरागत आतंकवाद विकसित तकनीक, आधुनिक उपकरणों आदि के द्वारा समर्थित जटिल विधियों के प्रयोग के द्वारा चिन्हित किए जाने वाले आतंकवाद के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसे करने के लिए अपनाए जाने वाली विधियां आम नहीं होती है।
Q73. परंपरागत आतंकवाद अपरंपरागत आतंकवाद से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:- परंपरागत आतंकवाद में आतंकवादी अपने संबंधित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राजनीतिक नेताओं की जन सभाओं या उनके कार्यस्थलों पर हमला करके उनकी हत्या करते थे, जबकि अपरंपरागत आतंकवाद में, एक बार में बड़ी संख्या में लोगों को मारने के लिए आतंकवादी आधुनिक उपकरणों तथा तकनीक का प्रयोग करते हैं।
Q74. किसी एक तरीके का वर्णन कीजिए जिसके द्वारा अपरंपरागत आतंकवाद लोगों के बीच भय उत्पन्न कर सकता है?
उत्तर:- अपरंपरागत आतंकवाद सार्वजनिक स्थान पर मौजूद वाहन, डिब्बे, सूटकेस आदि में विस्फोटकों को आतंकवादी समूहों के द्वारा लगवाकर लोगों के बीच भय पैदा कर सकता है। इस उपकरण से कई लोगों के जीवन की बड़ी हानि हो सकती है।
Q75. आतंकवादी हमलों के बाद स्वास्थ्य सेवा तंत्रों के समक्ष पेश आने वाली किन्हीं दो चुनोतियों का वर्णन करें।
उत्तर:- आतंकवादी हमलों के बाद स्वास्थ्य सेवा तंत्र के समक्ष पेश आने वाली 2 चुनौतियां यह है कि उन्हें अस्पतालों में अधिक सुविधाओं की व्यवस्था करनी होती है।
तथा उन्हें सभी आवश्यक सुविधाओं से लैस प्रयोगशालाओं और ऑपरेशन थिएटर रूम को बनाकर रखना होता है क्योंकि हमलो की बढ़ती हुई संख्या में हताहतों की संख्या दुनिया भर में सभी स्वास्थ्य तंत्रों के लिए चुनौतियों को कई गुना बढ़ा रही है।
निष्कर्ष
अंतर्राष्ट्रीय राजनीति विश्व में सहयोग, संघर्ष, समझौते, और सहमति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विभिन्न देशों के बीच के संबंधों की स्थिति और संघर्षों के समाधान में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
इस गाइड के माध्यम से हमने आपको एक नई दिशा की ओर प्रेरित किये हैं। प्रिय पाठक यदि आपको अंतर्राष्ट्रीय राजनीति प्रश्नोत्तरी अच्छा लगा तो सोशल मीडिया पर शेयर जरुर करें।